Tuesday, September 18, 2007

रात रानी है

आप का दिल जो राजधानी है
मेरी उस पर भी हुक्मरानी है

तकती रहती है उसके चेहरे को
ये नज़र किस क़दर दिवानी है

ख़ास चेहरे पे जा के ठहरेगी
आंख मेरी बड़ी सयानी है

प्यार की राह पर जो चलते हैं
उनकी नज़रों में आग पानी है

रोज़ जलती हूँ शाम ढलने पर
शमआ जैसी मेरी कहानी है

भीगी भीगी सी शब की ज़ुल्फ़ मुझे
सुबह की धूप में सुखानी है

ए हवा उनसे जा के कह्दे तू
महकी महकी सी रात रानी है